इनकम टैक्स कानून में बजट 2020 में किया गये बदलाव के बाद लोगों में काफी उलझन है. अगर आप भी इस बात को लेकर कन्फ्यूज हैं कि इनकम टैक्स के नए स्लैब से किसे फायदा होगा तो हम आपकी यह उलझन आज सुलझा देते हैं.

आम बजट 2020-21 के अनुसार आयकरदाता नई कर व्यवस्था व पुरानी कर व्यवस्था में से किसी एक का चयन कर सकते हैं। 

आम बजट 2023 के अनुसार Section 115BAC के अन्तर्गत  करदाताओ के लिए  वित्त मन्त्री के द्वारा नई कर व्यवस्था में कुछ परिवर्तन की घोषणा की गयी है जिसके तहत करदताओ के लिए मानक कटौती अधिकतम  रु० 50000/- तक की घोषणा की गयी है तथा टैक्स स्लैब का में परिवर्तन  किया गया है।

नई कर व्यवस्था में  करदाता को मिलने वाली विभिन्न छूट जैसे मकान किराया भत्ता, होम लोन का ब्याज, धारा 80C के तहत आने वाली छूटे (जीपीएफ,पीपीएफ,सामूहिक बीमा,सुकन्या योजना,जीवन बीमा प्रीमियम, बच्चों की ट्यूशन फीस, होम लोन का प्रिंसिपल, म्युच्युअल फन्ड, NPS, FDR, N.S.C., ULIP, Post Office R.D. आदि), स्वास्थ्य बीमा / गम्भीर बीमारी पर व्यय (80D), आश्रित विकलांग के लिए छूट(80DD), दान (80G),स्वयं करदाता की  विकलांगता पर मिलने वाली छूट (80U) तथा  धारा 80 के तहत मिलने वाली अन्य कोई भी राहत  समाप्त कर दी गयी हैं।

Income SlabTax Rate
(1) 3 लाख तक0%
(2)300001 से 6 लाख तक5%
(3) 600001 से 9 लाख तक10%
(4) 900001 से 12 लाख तक15%
(5) 1200001 से 15 लाख तक20%
(6) 1500000 से ऊपर30%
* कर योग्य आय 7,00,0000 तक होने पर धारा 87A के अन्तर्गत अधिकतम रु० 25000/- तक की कर छूट अनुमन्य होगी
* स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर (कुल आयकर का 4%)

आम बजट 2023 के अनुसार करदाताओ के लिए विकल्प रखा गया है कि यदि वे चाहें तो पुरानी कर व्यवस्था के अनुसार कर भुगतान कर सकते हैं।इस व्यवस्था में करदाता को पूर्व में मिलने वाली सभी कर राहत यथावत रहेंगी अर्थात करदाता को मिलने वाली विभिन्न छूट जैसे मकान किराया भत्ता, होम लोन का ब्याज, धारा 80C के तहत आने वाली छूटे (जीपीएफ,पीपीएफ,सामूहिक बीमा,सुकन्या योजना,जीवन बीमा प्रीमियम, बच्चों की ट्यूशन फीस, होम लोन का प्रिंसिपल, म्युच्युअल फन्ड, NPS, FDR, N.S.C., ULIP, Post Office R.D. आदि), स्वास्थ्य बीमा / गम्भीर बीमारी पर व्यय (80D), आश्रित विकलांग के लिए छूट(80DD), दान (80G),स्वयं करदाता की  विकलांगता पर मिलने वाली छूट (80U), 50,000 रुपए तक मानक कटौती(Standard Deduction) अथवा धारा 80 के तहत मिलने वाली अन्य कोई भी राहत पूर्व की तरह अनुमन्य होंगी।

Income SlabTax Rate
(1) 2.50लाखतक /वरिष्ठ ना0 3लाख तक0%
(2)250001/300001 से 5 लाख तक5%
(3) 500001 से 10 लाख तक20%
(4) 1000000 से ऊपर30%
* कर योग्य आय 5,00,0000 तक होने पर धारा 87A के अन्तर्गत अधिकतम रु० 12500/- तक की कर छूट अनुमन्य होगी
* स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर (कुल आयकर का 4%)

कर राहत हेतु विभिन्न प्रावधान

धारा 80C की बचत के अन्तर्गत मिलने वाली छूट

आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80 सी के अन्तर्गत आप विभिन्न योजनाओं में निवेश कर अधिकतम  रु० 1,50,000 तक कटौती का लाभ ले सकते हैं।80C के अन्तर्गत आने वाली विभिन्न मदों तथा योजनाओं को आप इस प्रकार समझ सकते हैं :-

कर्मचारी के वेतन से काटी जाने वाली जीपीएफ की धनराशि आयकर अधिनियम की धारा 80C के अंतर्गत कर छूट के लिए पेश की जा सकती है।

आप अपने, जीवनसाथी या बच्चों के नाम से बैंक या पोस्ट ऑफिस में खोले गए PPF अकाउंट में निवेश कर टैक्स (Income Tax ) में राहत पा सकते हैं।पीपीएफ (PPF) अकाउंट जिस वर्ष खुलता है, उसके 15 सालों में वह मैच्योर होता है. इस हिसाब से जो रकम आपने PPF में पहले साल में निवेश की है, वह 15 साल के लिए लॉक हो जाएगी।

कर्मचारी के वेतन से काटी जाने वाली सामूहिक बीमा  की धनराशि आयकर अधिनियम की धारा 80C के अंतर्गत कर छूट के लिए अनुमन्य है।

आप जीवन बीमा या मनी बैक प्लान में चुकाए गए प्रीमियम पर भी सेक्शन 80C के तहत टैक्स (Income Tax) लाभ पा सकते हैं.स्वयं, पति या पत्नी और बच्चों के लिए जीवन बीमा प्रीमियम के भुगतान पर ही सेक्शन 80C के तहत टैक्स में राहत मिल सकती है. माता-पिता और भाई-बहनों के जीवन बीमा के लिए प्रीमियम का भुगतान पर कोई टैक्स (Income Tax) बेनिफिट नहीं है.

आप दो बच्चों के लिए स्कूल/कॉलेज की ट्यूशन फीस पर भी सेक्शन 80C के तहत टैक्स (Income Tax) बेनिफिट ले सकते हैं. यदि आपके दो से अधिक बच्चे हैं, तो आप किसी भी दो बच्चे के लिए यह दावा कर सकते हैं.

टैक्स में राहत केवल पूर्णकालिक शिक्षा (फुल टाइम एजुकेशन) के लिए ही उपलब्ध है. टैक्स राहत के दायरे में निजी ट्यूशन, कोचिंग क्लास या कोई पार्ट टाइम कोर्स नहीं आता. अपनी शिक्षा या जीवनसाथी की शिक्षा के लिए पढ़ाई पर किया गया खर्च भी टैक्स बेनिफिट के दायरे में नहीं आता.

टैक्स (Income Tax) बचत के लिए यह काफी समय से लोगों का पसंदीदा निवेश विकल्प है. इसकी परिपक्वता अवधि 6 साल की है. सेक्शन 80C के तहत टैक्स बचत वाले इस निवेश विकल्प में समय से पहले कोई भुगतान संभव नहीं है.इसमें मिलने वाले ब्याज पर भी आपको टैक्स (Income Tax) चुकाना पड़ता है.

केंद्र सरकार की बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के तहत लांच की गई यह स्कीम गर्ल चाइल्ड के लिहाज से बेहतरीन विकल्प है. अगर आपकी बेटी की उम्र 10 साल से कम है तो आप अपनी बेटी के लिए SSY खाता खोल सकते हैं.

SSY अकाउंट आपकी बेटी के 21साल का होने पर मैच्योर होगा. आप बेटी की शादी या पढ़ाई के लिए SSY अकाउंट से पैसे निकाल सकते हैं.
यह वास्तव में EEE कैटेगरी का निवेश उत्पाद है. इसका मतलब यह है कि इसमें निवेश के वक्त टैक्स लाभ, ब्याज पर टैक्स लाभ और मैच्योरिटी पर रकम निकासी पर भी टैक्स (Income Tax) छूट मिलती है. ब्याज दर की घोषणा हर तिमाही पर की जाती है.

अगर आपने होम लोन लिया है, तो उस लोन के मूलधन का भुगतान भी इनकम टैक्स (Income Tax) कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स लाभ के योग्य है.यहां एक शर्त यह है कि आप निर्माणाधीन प्रॉपर्टी (अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी ) के लिए मूलधन के भुगतान पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स (Income Tax) लाभ नहीं ले सकते. घर का निर्माण कार्य पूर्ण या रेडी टू मूव प्रॉपर्टी खरीदने के मामले में ही आप इस कटौती का लाभ उठा सकते हैं.

निवेश के इस विकल्प को आम तौर पर टैक्स (Income Tax) सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में जाना जाता है. इस फिक्स्ड डिपॉजिट की अवधि 5 साल की होती है. इसका मतलब यह है कि इस तरह के फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश को आप पांच साल से पहले भुना नहीं सकते. इस पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स (Income Tax) चुकाना होता है

POSTAL LIFE INSURANCE POLICY अर्थात डाकघर जीवन बीमा पालिसी के प्रीमियम का भुगतान भी धारा 80C के तहत कर राहत हेतु प्रस्तुत किया जा सकता है

ELSS वास्तव में तीन साल की लॉक इन अवधि वाले इक्विटी म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) होते हैं. ELSS में निवेश करने पर आप तीन साल के अंदर इस रकम को निकाल नहीं सकते. बहुत से लोग ELSS को टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के नाम से भी जानते हैं.

यूलिप जीवन बीमा योजना और निवेश का एक मिला-जुला रूप है. इसके लिए चुकाए जाने वाले प्रीमियम में एक हिस्सा जीवन बीमा कवर के लिए, जबकि बचा हुआ हिस्सा रिटर्न के लिए किसी फंड में निवेश कर दिया जाता है. यूलिप में चुकाए गए प्रीमियम की पूरी रकम पर इनकम टैक्स (Income Tax) कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है.आम तौर पर यूलिप प्लान में पांच साल का लॉक-इन होता है. इसका मतलब है कि आप यूलिप प्लान खरीदने की तारीख से पांच साल की अवधि तक इससे पैसे नहीं निकाल सकते. इस हिसाब से आपका पहला सालाना प्रीमियम 5 साल के लिए लॉक हो जाएगा. इसी तर्ज पर दूसरा प्रीमियम 4 साल के लिए लॉक हो जाएगा.यह ध्यान रखें कि यूलिप में निवेश के बाद पांच साल से पहले आप किसी भी तरह पैसे नहीं निकाल सकते. अगर आप यूलिप पांच साल से पहले बंद कर देते हैं तब भी आप इससे पैसे नहीं निकाल सकते.

नवीन पेंशन योजना(NPS)  के अंतर्गत कर्मचारी के वेतन से मूलवेतन तथा मंहगाई भत्ते के 10% के बराबर कटौती की जाती है।कर्मचारी के वेतन से काटी गयी यह धनराशि धारा 80C के अंतर्गत कर छूट हेतु अनुमन्य है।

80C के अतिरिक्त कर राहत हेतु अन्य प्रावधान

आयकर अधिनियम की धारा 80C के अतिरिक्त भी करदाता कर छूट हेतु दावा कर सकता है, आइये इन्हें समझते हैं:-

यदि आप अपने नियोक्ता से मकान किराया भत्ता प्रप्त कर रहे हैं तो आयकर अधिनियम की धारा 10(13A) के अन्तर्गत मकान किराया भत्ता की धनराशि पर  आयकर में छूट हेतु दावा कर सकते हैं।

निम्नलिखित तीनों में से न्यूनतम धनराशि मकान किराया भत्ता की छूट हेतु अनुमन्य है:-

(1) प्राप्त वास्तविक मकान किराया भत्ता

(2) वेतन के 10% से अधिक भुगतान की गई किराए की धनराशि 

(3) चेन्नई, मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली में निवास करने वाले कर्मचारी के मूलवेतन की 50% धनराशि और अन्य शहरों में निवास करने वाले कर्मचारी के मूल्वेतम की 40% धनराशि

नोट:- स्वयं के मकान अथवा ऐसे मकान, जिसका वह किराया नहीं देता है, में रहने वाले व्यक्ति लो प्राप्त मकान किराया भत्ता के सम्पूर्ण धनराशि कर योग्य है अर्थात उसे कोई छूट अनुमन्य नहीं है। 

यदि आपने आवासीय मकान बनाने के लिए खरीदने के लिए ऋण लिया है तो उसके EMI भुगतान करने पर चुकाए गए ब्याज के लिए आप अधिकतम 2,00,000/- तक की छूट प्राप्त कर सकते हैं।

आप आयकर की धारा 80डी का भी लाभ ले सकते हैं जिसमें आप स्वयं, परिवार और आश्रित माता-पिता के लिए भुगतान किए गए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स बचा सकते हैं। खुद या परिवार के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए धारा 80D कटौती की सीमा 25 हजार रुपए है। वरिष्ठ नागरिक माता-पिता के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए, आप 50 हजार रुपए तक की कटौती का दावा कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, 5 हजार रुपए की सीमा तक स्वास्थ्य जांच की भी अनुमति है और इसे समग्र सीमा में शामिल किया गया है।

अगर कोई विकलांग व्यक्ति आप पर आश्रित है तो विकलांग आश्रित के चिकित्सा उपचार पर भी 80डीडी का फायदा उठाया जा सकता है। इन आश्रितों में माता-पिता, जीवनसाथी, बच्चे, भाई और बहन जो भी आप पर आश्रित हों। अगर निर्भर रिश्तेदार 40% या इससे ज्यादा लेकिन 80% से कम विकलांग है तो आयकर में 75 हजार रुपए तक की छूट ले सकते हैं। अगर रिश्तेदार गंभीर रूप से विकलांग है यानी 80% से ज्यादा तो टैक्स डिडक्शन 1.25 लाख रुपए रहेगा। इस क्लेम के लिए किसी मान्य मेडिकल अथॉरिटी से डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट जरूरी होगा।

सेक्शन 80DDB के तहत अपने किसी आश्रित की गंभीर और लंबी बीमारी के इलाज में खर्च की गई रकम पर इनकम टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं। कोई आयकर दाता अपने माता-पिता, बच्चे, आश्रित भाई-बहनों और पत्नी के इलाज में खर्च की गई रकम की कटौती के लिए दावा कर सकता है। इनमें कैंसर, हीमोफीलिया, थैलीसीमिया और एड्स आदि बीमारियां शामिल हैं। आम तौर पर यह कटौती 40 हजार रुपए होती है। वरिष्ठ नागरिकों के मामले में यह कटौती 1 लाख रुपए तक हो सकती है। इसके लिए चिकित्सक से प्रमाण पत्र लेना होता है।

ये बीमारियां होंगी कवर?
मोटर न्यूरॉन डिजीज, रीनल फेलियर, कैंसर, एड्स, हेमेटोलॉजिकल, अटैक्सिया, डिमेंशिया, अफेसिया, डिस्टोनिया मस्कुलोरम डिफॉर्मेंस और पार्किंसंस सहित अन्य बीमारियां इसमें शामिल हैं।

आप एजुकेशन लोन के जरिए भी टैक्स बचा सकते हैं। आयकर की धारा 80ई कर्ज के ब्याज में करदाता की काफी मदद करती है भले ही यह लोन उसने खुद,खुद के बच्चे या पत्नी के लिए ही क्यों न लिया हो। किसी वित्तीय वर्ष में ब्याज के रूप में भुगतान की गई राशि बिना किसी सीमा के कटौती योग्य होती है।

आयकर की धारा 80 जी, आपको सामाजिक, राजनैतिक व जनहितकारी संस्थाओं तथा सरकारी राहत कोषों में दिए गए दान या चंदे पर टैक्स छूट लेेने का अधिकार देती है। लेकिन यह छूट हमेशा हर दान या चंदे पर एक जैसी नहीं होती। यह टैक्स छूट कुछ नियमों व शर्तों के हिसाब से मिलती है।वित्तीय वर्ष 2017-18 से नकदी के रूप में दान या चंदे को अधिकतम 2000 रुपए तक सीमित कर दिया गया है। इससे अधिक का दान या चंदा अन्य किसी रिकॉर्डयुक्त माध्यम (चेक, ड्राफ्ट या डिजिटल पेमेंट वगैरह) से ही दिया जा सकता है।

दान पर टैक्स छूट की चार श्रेणियां

  • सीमा रहित दान (पूरी आमदनी तक संभव), जिनके 100 प्रतिशत (पूरे) हिस्से पर टैक्स छूट मिलती है
  • सीमा रहित दान (पूरी आमदनी तक संभव), जिनके सिर्फ 50 प्रतिशत हिस्से पर टैक्स छूट मिलती है
  • सीमायुक्त दान (आमदनी के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं), जिनके 100 प्रतिशत हिस्से पर टैक्स छूट है
  • सीमायुक्त दान (आमदनी के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं), जिनके 50 प्रतिशत हिस्से पर टैक्स छूट है

सीमारहित दान जिनमें 100 प्रतिशत टैक्स टैक्स छूट
without limit qualifying for 100% deduction

  • राष्ट्रीय सुरक्षा कोष
  • प्रधानमंत्री राष्टीय राहत कोष
  • राष्ट्रीय सांप्रदायिक सौहार्द फाउंडेशन
  • राष्ट्रीय महत्व वाली मान्यताप्राप्त यूनिवर्सिटी.शैक्षिक संस्थान
  • जिला सहकारिता समिति
  • सरकारी निर्धन चिकित्सा राहत कोष
  • राष्ट्रीय बीमारी सहायता कोष
  • राष्ट्रीय या राज्यीय रक्त आधान परिषद
  • गंभीर बीमारियोें के लिए गठित राष्ट्रीय कल्याण ट्रस्ट
  • राष्ट्रीय खेल कोष
  • राष्ट्रीय सांस्कृतिक कोष
  • तकनीकी विकास व अनुप्रयोग कोष
  • राष्ट्रीय बाल कोष
  • मुख्यमंत्री राहत कोष
  • उपराज्यपाल राहत कोष .केंद्र शासित प्रदेशों के लिए.
  • आर्मी सेंट्रल वेलफेयर फंड
  • स्वच्छ भारत कोष
  • निर्मल गंगा कोष
  • नेशनल फंड फॉर कंट्रोल आॅफ ड्रग एब्यूज
  • भूंकंप व प्राकृतिक आपदाओं के लिए गठित केंद्रीय या राज्य स्तर के सरकारी फंड

सीमारहित दान जिनमें 50 प्रतिशत टैक्स छूट
without limit qualifying for 50% deduction

  • Jawaharlal Nehru Memorial Fund
    जवाहर लाल नेहरू स्मारक कोष
  • Prime Minister’s Drought Relief Fund
    प्रधानमंत्री सूखा राहत कोष
  • Indira Gandhi Memorial Trust
    इंदिरा गांधी स्मारक ट्रस्ट
  • Rajiv Gandhi Foundation
    राजीव गांधी फांउंडेशन

आय के 10 प्रतिशत तक दान, 100 प्रतिशत टैक्स छूट
Limited upto 10% of Income, 100% Deduction

  • परिवार नियोजन को बढावा देने के लिए गठित मान्यता प्राप्त संस्था
  • खेलों के विकास व प्रयोजन के क्षेत्र में काम कर रही मान्यता प्राप्त संस्था

आय के 10 प्रतिशत तक दान, 50 प्रतिशत टैक्स छूट
Limited upto 10% of Income, 50% Deduction

  • परिवार नियोजन के अलावा अन्य किसी जनहित कार्य में लगी मान्यता प्राप्त संस्था
  • आवास सुविधा या शहरी या ग्रामीण नियोजन/विकास के क्षेत्र में कार्यरत प्राधिकरण
  • अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए गठित मान्यताप्राप्त संस्थाएं
  • महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों की मरम्मत या पुनरोद्धार कार्य

भारतीय आयकर अधिनियम के तहत पंजीकृत संस्थाओं को खोजें

यदि आप जानना चाहते हैं कि जिस संस्था को आप दान दे रहे हैं, क्या वह आयकर विभाग में पंजीकृत है तो नीचे दी गयी पंक्ति पर क्लिक करें:-

पंजीकृत संस्थाओं को खोजें

कर्मचारी स्वयं की विकलांगता की दशा में अपने ऊपर किये गये खर्चों के लिए धारा  80U के तहत टैक्स छूट प्राप्त कर सकता है। धारा 80U के तहत टैक्स छूट को दो श्रेणियों में बांटा गया है।

सामान्य विकलांग व्यक्ति पर खर्च के लिए के लिए टैक्स छूट

सामान्य विकलांग व्यक्ति उसे माना गया है जो चिकित्सा विज्ञान के हिसाब से 40% विकलांगता का शिकार है। धारा 80 यू के तहत कम से कम 40% विकलांगता ग्रस्त व्यक्ति पर सालाना 75 हजार रुपए तक के खर्च पर टैक्स छूट का लाभ लिया जा सकता है।

गंभीर रूप से विकलांग व्यक्ति पर खर्च के लिए के लिए टैक्स छूट

गंभीर विकलांग व्यक्ति उसे माना गया है, जो चिकित्सा विज्ञान के हिसाब से कम से कम 80% विकलांगता का​ शिकार है। धारा 80 यू के तहत ऐसा व्यक्ति जो कम से 80% या इससे अधिक विकलांगताग्रस्त है, उस पर साल भर में हुए 1 लाख 25 हजार रुपए तक के खर्च पर टैक्स छूट ली जा सकती है।

बैंक या डाकघर के बचत खाते पर मिलने वाला ब्याज यदि 10000 रुपए से अधिक है तो वह आपके टैक्स ब्रेकेट के अनुसार कर योग्य होती है, परन्तु आप सेक्शन 80TTA अथवा 80TTB के अंतर्गत छूट की मांग कर सकते हैं

सेक्शन 80TTA :-

यदि आपकी आयु 60 वर्ष से कम है अर्थात आप सामान्य नागरिक हैं तो आप सेक्शन 80TTA के तहत आपके सभी बचत खातों पर प्राप्त ब्याज अथवा 10000 रुपए में से जो भी कम हो के लिए कर छूट का दावा कर सकते हैं

सेक्शन 80TTB :-

यदि आप वरिष्ठ नागरिक हैं  तो आप सेक्शन 80TTB के तहत आपके सभी बचत खातों तथा सावधि पर प्राप्त ब्याज अथवा 50000 रुपए में से जो भी कम हो के लिए कर छूट का दावा कर सकते हैं

नोट:-  सावधि जमा (Fixed Deposites) पर प्राप्त ब्याज की छूट केवल वरिष्ठ नागरिकों के लिए है, यह सामान्य नागरिक के लिए अनुमन्य नहीं है

पारिवारिक पेंशन पर आपको आयकर की धारा 57 के तहत प्राप्त राशि का एक तिहाई और 15,000 रुपये जो भी कम है की छूट प्राप्त हो सकती है। 

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